अहमदाबाद (गुजरात) के मशहूर चित्रकार धवल के. खत्री के हाथ नहीं है और उन्होंने बिना हाथो के ही ऐसी पेंटिंग्स बनाई है जो हर किसी के बस में नहीं है |
"मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता, होंसलो से उड़ान होती है" | इस पंक्ति को सच कर बताया है अहमदाबाद के एक छोटे से शहर में रहने वाले 30 वर्षीय युवक ने | आज हम आपको बताने जा रहे है मशहूर चित्रकार धवल के. खत्री के बारे में, जिन्होंने बचपन में ही अपने दोनों हाथ गवां दिए | लेकिन आज उनका नाम गुजरात के मशहूर चित्रकारों में लिया जाता है |
धवल जब 14 वर्ष के एक बालक थे तभी बिजली के नंगे तारों में फंसी अपनी पतंग निकलने के लिए गए थे। लेकिन पतंग तो नहीं निकाल सके पर उनके दोनो हाथ हाई वोल्टेज करंट वाले तारों से चिपक गए। करंट ने उन्हें काफी तेज झटका दिया और उनका पूरा शरीर झन्ना उठा। करीब 14 फिट की ऊंचाई से जमीन पर गिरकर बेहोश हो गए और उनकी सांस थम गई।
तभी मॉर्निंग वॉक पर निकले दो डॉक्टरों ने पहले तो घटनास्थल पर ही उनके मुंह में हार्टपंप किया बाद में अपने मुंह से सांस भरने की कोशिश की, काफी कोशिश करने के बाद सांस आ गई। फिर उनको आनन-फानन नामक अस्पताल पहुंचाया गया। जान तो बच गई लेकिन हाथ नहीं बच सके। उनमें गैंग्रीन हो गया था और पूरे शरीर में फैल जाने का खतरा। माता-पिता को समझाया गया कि दोनों हाथ काट दिए जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं। कोहनी से नीचे दोनों हाथ काट दिए गए और तभी से उन्होंने अपने दोनों हाथो को नहीं देखा |
लेकिन उन्होंने जीवन से कभी हार नहीं मानी | जब वे हॉस्पिटल में थे तो उन्हें माँ ने प्रेरणा दी | धवल बचपन से ही पढ़ाई और पेंटिंग्स दोनों में ही काफी अच्छे स्टूडेंट थे | आज उन्हें पैन और पेन्सिल पकड़ने में कोई तकलीफ नहीं होती है | उनके हाथ न होने पर भी यह उनकी कमजोरी नहीं बनी है | वे हर हफ्ते क्रिकेट और फुटबॉल खेलते है और गिटार भी बजाते है | धवल का साथ मीडिया ने भी बहुत दिया है | उन्हें लगता है की ये शायद उनका कोई नया जन्म है |
धवल कहते है की इंसान को जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए | चाहे कितनी ही मुश्किलें क्यों ना आये | जब एक मुश्किल इंसान का रास्ता रोकती है तो भगवान एक दूसरा रास्ता खोल देते है |